रविवार, 27 अक्टूबर 2013

gupt_raaz_last_part

फ़िर दूसरा लडका भी चला गया. पहले वाला लडका मेरे पास बैठ कर सिगरेट पीने लगा और आन्खे बन्द करके पता नही किस ख्यालो मे डूब गया. इतने मे पता नही कब मुझे नीन्द आ गयी और मै सो गया. बस मेरी नीन्द तब खुली जब मुझे मम्मी सुबह जगा रहे थे. हम लोगो को उन दोनो लडको ने सुबह बहुत जल्दी मेरी मम्मी की सहेली के घर से थोडा दूर छोड दिया. मै और मम्मी मेरी मम्मी की सहेली के घर पैदल ही १० मिन्ट मे पहुन्च गये. वहा पहुन्च कर हमने बस चाय पी. मम्मी ने वहा अपनी सहेली को ये बहाना बना दिया कि हम दोनो रात किसी होटल मे रूक गये थे. हमने वहा से अपना सामान उठाया और वापिस दिल्ली की रेल पकड ली. रास्ते मे मुझे मम्मी ने बहुत अच्छी तरह से बार बार समझा समझा कर तोते की तरह रटा दिया की ये बात किसी को मत बताना. मैने घर पहुन्च कर किसी को कुछ नही बताया. मम्मी का मूड भी कुछ दिन मे पहले की तरह नार्मल हो गया. उस समय मै बच्चा था, इसलिये मुझे पूरी समझ नही थी. लेकिन पिछले कुछ समय से जब भी मुझे वो घटना याद आती है. तो मेरे रोगटे खडे हो जाते है. लेकिन साथ मे १ झुरझुरी सी भी दौड जाती है कि उन २० की उमर के जवान लडको ने उस समय मेरी ३५ साल की मम्मी के साथ क्या क्या किया होगा. क्या सिर्फ़ सिम्पल सेक्स किया होगा या मम्मी की गान्ड भी मारी होगी या मम्मी से अपना लन्ड भी चुसवाया होगा. लेकिन ये सोचते हुये कभी कभी शर्म भी आती है. लेकिन जब बहुत गर्म हो जाता हु तो मूठ मार देता हु. मम्मी को देख कर ये लगता ही नही है कि उनके साथ इस तरह की कभी कोई घटना हुई होगी. या फ़िर मम्मी ने उस बात को अपने सीने मे किसी गुप्त राज की तरह सदा के लिये दफ़न कर दिया.

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