गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013
रविवार, 27 अक्टूबर 2013
sexy_mastrubation
हस्तमैथुन करना एक साधारण आदत है जिसे हर पुरुष पसंद करता है। छोटी अवस्था में ही उसे अपने लिंग की पहचान हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि घर की नौकरानी बालक को चुप करने के लिए उसके लिंग की मालिश कर देती है। बालक भी थोडा बड़ा होने पर अपने लिंग से खेलना सीख जाता है और आनंद उठाने के लिए अक्सर अपने लिंग को पकड़ कर सहलाता है। थोड़ा और बड़ा होने पर उसे चरम सीमा का आनन्द आने लगता है। कुछ लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं परन्तु जो लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं वे स्वयं भी इस का आनन्द लेते हैं। हाँ, किसी भी बात को अधिकता में करने से हानि होती है यह बात हस्तमैथुन के लिए भी लागू होती है।
वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।
हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।
हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।
कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है।
हस्तमैथुन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने हाथ और लिंग पर तेल या कोई चिकना पदार्थ लगा लें, फिर हल्के हाथ से लिंग की मालिश करें जब तक लिंग पूरी तरह से सख्त न हो जाये। लिंग-मुण्ड पर चिकनाई अच्छी तरह लगा कर उसे अपनी उंगली और अंगूठे के बीच प्रवेश कराएँ जैसे किसी योनि या गुदा में प्रवेश करा रहें हों या फिर चारों उँगलियों और अंगूठे को मिला कर गोलाई का रूप दें और उसमें अपने चिकने लिंग को ऐसे प्रवेश कराएँ जैसे किसी के मुख में प्रवेश करा रहें हों, मुखमैथुन मुद्रा में !
सख्त लिंग को कभी भी कस कर न पकड़ें ! चिकनाई के कारण घर्षण ऐसे करें जैसे सम्भोग किया जाता है। कल्पना करें कि आपका हाथ नहीं बल्कि वह आपकी प्रियतमा की योनि, मुख या गुदा है। यदि आप हस्तमैथुन को अधिक देर तक करना चाहते हैं तो बीच बीच में घर्षण क्रिया रोक कर अपने लिंग को सहलाएं या अपने अंडकोषों से खेलें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि दूसरे हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा तेल कर उससे अपनी गुदा के चारों ओर और बीच में सहलाएँ। ध्यान रहे कि उंगली गुदा में प्रवेश न करे। ऐसे केवल स्लखित होते समय ही करें। स्लखित होते समय गुदा में उंगली के प्रवेश से आपका चरमसीमा का आनन्द दोगुना हो जायेगा, साथ ही साथ वीर्य निकलने की तीव्रता भी बढ़ जाएगी।
अब जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्लखित होने वाला है तो घर्षण की तीव्रता की बढ़ा दें परन्तु हल्के हाथ से ! जोश और तनाव में सम्भव है कि आपकी पकड़ मजबूत हो जाये जिसके कारण नसों पर दवाब भी बढ़ जायेगा जो आगे चल कर हानिकारक हो सकता है।इस समय आपके लिंग में खून का प्रवाह तेज़ी से हो रहा होता है, कस कर पकड़ने से खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।स्लखित होने से पहले लिंग की स्थिति को निर्धारित करें अर्थात ऊपर की ओर, नीचे की ओर, दायें या बाएं ! एक बार स्थिति बन गई तो फिर आप अपने वीर्य को निकलने दें।
स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग को न छोड़ें, उसे सामान्य स्थिति में आने तक हल्के हाथ से सहलाते रहें। स्लखित होने के बाद लिंग को निचोड़ें नहीं, ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता। स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग पर ठंडा पानी न डालें। यदि आपको तुरंत साफ़ करने की आवश्यकता है तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें या किसी साफ़ कपड़े से लिंग को पोंछ लें अन्यथा 15 मिनट तक लिंग व शरीर को ठंडा होने दें फिर स्नान किया जा सकता है।
भोजपुरिया भूत।
वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।
हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।
हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।
कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है।
हस्तमैथुन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने हाथ और लिंग पर तेल या कोई चिकना पदार्थ लगा लें, फिर हल्के हाथ से लिंग की मालिश करें जब तक लिंग पूरी तरह से सख्त न हो जाये। लिंग-मुण्ड पर चिकनाई अच्छी तरह लगा कर उसे अपनी उंगली और अंगूठे के बीच प्रवेश कराएँ जैसे किसी योनि या गुदा में प्रवेश करा रहें हों या फिर चारों उँगलियों और अंगूठे को मिला कर गोलाई का रूप दें और उसमें अपने चिकने लिंग को ऐसे प्रवेश कराएँ जैसे किसी के मुख में प्रवेश करा रहें हों, मुखमैथुन मुद्रा में !
सख्त लिंग को कभी भी कस कर न पकड़ें ! चिकनाई के कारण घर्षण ऐसे करें जैसे सम्भोग किया जाता है। कल्पना करें कि आपका हाथ नहीं बल्कि वह आपकी प्रियतमा की योनि, मुख या गुदा है। यदि आप हस्तमैथुन को अधिक देर तक करना चाहते हैं तो बीच बीच में घर्षण क्रिया रोक कर अपने लिंग को सहलाएं या अपने अंडकोषों से खेलें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि दूसरे हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा तेल कर उससे अपनी गुदा के चारों ओर और बीच में सहलाएँ। ध्यान रहे कि उंगली गुदा में प्रवेश न करे। ऐसे केवल स्लखित होते समय ही करें। स्लखित होते समय गुदा में उंगली के प्रवेश से आपका चरमसीमा का आनन्द दोगुना हो जायेगा, साथ ही साथ वीर्य निकलने की तीव्रता भी बढ़ जाएगी।
अब जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्लखित होने वाला है तो घर्षण की तीव्रता की बढ़ा दें परन्तु हल्के हाथ से ! जोश और तनाव में सम्भव है कि आपकी पकड़ मजबूत हो जाये जिसके कारण नसों पर दवाब भी बढ़ जायेगा जो आगे चल कर हानिकारक हो सकता है।इस समय आपके लिंग में खून का प्रवाह तेज़ी से हो रहा होता है, कस कर पकड़ने से खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।स्लखित होने से पहले लिंग की स्थिति को निर्धारित करें अर्थात ऊपर की ओर, नीचे की ओर, दायें या बाएं ! एक बार स्थिति बन गई तो फिर आप अपने वीर्य को निकलने दें।
स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग को न छोड़ें, उसे सामान्य स्थिति में आने तक हल्के हाथ से सहलाते रहें। स्लखित होने के बाद लिंग को निचोड़ें नहीं, ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता। स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग पर ठंडा पानी न डालें। यदि आपको तुरंत साफ़ करने की आवश्यकता है तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें या किसी साफ़ कपड़े से लिंग को पोंछ लें अन्यथा 15 मिनट तक लिंग व शरीर को ठंडा होने दें फिर स्नान किया जा सकता है।
भोजपुरिया भूत।
gupt_raaz_last_part
फ़िर दूसरा लडका भी चला गया. पहले वाला लडका मेरे पास बैठ कर सिगरेट पीने लगा और आन्खे बन्द करके पता नही किस ख्यालो मे डूब गया. इतने मे पता नही कब मुझे नीन्द आ गयी और मै सो गया. बस मेरी नीन्द तब खुली जब मुझे मम्मी सुबह जगा रहे थे. हम लोगो को उन दोनो लडको ने सुबह बहुत जल्दी मेरी मम्मी की सहेली के घर से थोडा दूर छोड दिया. मै और मम्मी मेरी मम्मी की सहेली के घर पैदल ही १० मिन्ट मे पहुन्च गये. वहा पहुन्च कर हमने बस चाय पी. मम्मी ने वहा अपनी सहेली को ये बहाना बना दिया कि हम दोनो रात किसी होटल मे रूक गये थे. हमने वहा से अपना सामान उठाया और वापिस दिल्ली की रेल पकड ली. रास्ते मे मुझे मम्मी ने बहुत अच्छी तरह से बार बार समझा समझा कर तोते की तरह रटा दिया की ये बात किसी को मत बताना. मैने घर पहुन्च कर किसी को कुछ नही बताया. मम्मी का मूड भी कुछ दिन मे पहले की तरह नार्मल हो गया. उस समय मै बच्चा था, इसलिये मुझे पूरी समझ नही थी. लेकिन पिछले कुछ समय से जब भी मुझे वो घटना याद आती है. तो मेरे रोगटे खडे हो जाते है. लेकिन साथ मे १ झुरझुरी सी भी दौड जाती है कि उन २० की उमर के जवान लडको ने उस समय मेरी ३५ साल की मम्मी के साथ क्या क्या किया होगा. क्या सिर्फ़ सिम्पल सेक्स किया होगा या मम्मी की गान्ड भी मारी होगी या मम्मी से अपना लन्ड भी चुसवाया होगा. लेकिन ये सोचते हुये कभी कभी शर्म भी आती है. लेकिन जब बहुत गर्म हो जाता हु तो मूठ मार देता हु. मम्मी को देख कर ये लगता ही नही है कि उनके साथ इस तरह की कभी कोई घटना हुई होगी. या फ़िर मम्मी ने उस बात को अपने सीने मे किसी गुप्त राज की तरह सदा के लिये दफ़न कर दिया.
gupt_raaz_part_4
इतने मे चुप्पी तोडते हुये वो लडका बोला "आन्टी जी, आप अधिक मत सोचिये. मेरा घर पास मे ही है. ये मेरा दोस्त जो कार चला रहा है. ये मुझे घर छोडने जा रहा है. आप भी मेरे घर ही रूक जाईये. आप मेरे मम्मी पापा से भी मिल लेना. आप जैसे अच्छे लोगो से कहा रोज रोज मुलाकात होती है". मेरी मम्मी ने बोला " ओ.के ठीक है". बस तब तकरीबन १० मिन्ट बाद हम लोग किसी कलोनी के आखिरी छोर पर पहुन्चे. वहा उन्होने कार रोक दी. उस लडके ने अपने दोस्त को कहा "कार अन्दर ही कर ले, तू भी पापा से मिल कर जाना". वो लोग कार को घर के अन्दर ले गये. मै और मम्मी भी कार से बाहर निकल आये. घर देखने मे ठीक ठाक ही था. न बहुत छोटा मकान था और न ही बडा. वो लडका मुझे और मम्मी को घर के अन्दर ले आया. दूसरा लडका हमारे पीछे पीछे आ रहा था. हम लोग अन्दर आ गये थे. उसने हमे ड्राईन्ग रूम मे बिठाया. दूसरा लडका बाथरूम मे चला गया. मेरे मम्मी उस लडके से बोले "आपके मम्मी पापा दिखायी नही दे रहे". तब वो लडका हसता हुआ बोला "किसी ने शाय्द सच ही कहा है कि खूबसुरत औरत के पास अक्ल की कमी होती है". मेरे मम्मी जरा हैरानी से बोले "मतलब". वो लडका शरारती तरीके से हसता हुआ बोला, "आन्टी जी आप ने ३ बाते शाय्द नोटिस नही की." मम्मी थोडे से घबरा कर बोले "कौन सी ३ बाते". वो लडका बोला, "अगर इस घर मे कोई होता तो मेरे दोस्त के हार्न मारने पर बाहर आ कर गेट जरुर खोलता, लेकिन गेट मैने कार से उतर कर खोला था" वो लडका बिना रुके बोला " दूसरा पाईन्ट, अगर इस घर मे कोई होता तो मै अन्दर जा कर बैल बजाता तब कोई बाहर आता. लेकिन मैने खुद बाहर से लाक्ड दरवाजे को चाबी से खोला". मेरी मम्मी हैरानी से चुप थी. तब तक दुसरा लडका भी बाथरूम से आ चुका था. पहले वाला लडका फ़िर बोला "तीसरा पाईन्ट, अगर घर मे कोई होता. जैसा कि रास्ते मे मैने आपको बोला मम्मी पापा और दीदी के बारे मे तो घर के अन्दर इतना अन्धेरा क्यु होता और मुझे अन्दर आ कर सब लाईट्स आन करनी पडी."
इतना सुनते ही मेरे मम्मी घबरा कर बोले "आपने हमसे झूठ क्यु बोला". तब दुसरा लडका बोल पडा "आन्टी जी, क्या आप सचमुच इतनी बेवकूफ़ हो, जो अभी तक नही समझी". मम्मी हैरानी और घबराहट से बोली "मै समझी नही". तब वो दोनो लडके धीरे धीरे हसने लगे. तब पहला लडका बोला " आन्टी जी, सच कहु, आप बहुत ही सुन्दर है और सेक्सी भी. पूरी पार्टी मे आपने आग लगा रखी थी." मेरे मम्मी थोडा गुस्से से बोले "शट अप, हम लोग जा रहे है". मेरे मम्मी मुझे साथ ले कर उठने लगे. इतने मे वो दुसरा लडका बोला "आन्टी जी, सिर्फ़ १ बात सुन लीजिये. हम लोग बेशक दुल्हे के दोस्त है. लेकिन कोई ये नही जानता कि आप इस समय हम दोनो के साथ है. ये घर भी हमारा है. लेकिन यहा कोई रहता नही. ये पुराना मकान है. मै और मेरे दोस्त यहा कभी कभी बस मौज मस्ती के लिये ही आते है. यहा आप चिल्ला पडोगी तो भी आप की आवाज बाहर तक नही जायेगी. अगर हमने कोई जबर्दस्ती की तो आप के ये आधुनिक कपडे फ़ट जायेगे. तब आप को रात को सडक पर नन्गे ही जाना पडेगा. अगर हम चाहे तो आपका रेप कर के आप को और आपके इस पिल्ले को मार कर कार मे डाल कर किसी सुनसान जगह पर चुपचाप फ़ेक सकते है" मेरे मम्मी ये सुन कर रोने लगे. मै भी रो रहा था. तब १ लडका मुझे साथ ले जा कर दूसरे रूम मे चला गया. मै रो रहा था. वो लडका मुझे कभी प्यार से तो कभी गुस्से से चुप करवा रहा था. मैने भी सहम कर थोडी देर बाद रोना बन्द कर दिया. तकरीबन आधे घन्टे बाद दूसरा लडका हमारे रूम मे आया. वो उपर से बिल्कुल नन्गा था. उसने सिर्फ़ जीन्स पहनी हुई थी. जीन्स का भी बटन खुला था. वो आते ही बोला "अब तेरी बारी है जा".
इतना सुनते ही मेरे मम्मी घबरा कर बोले "आपने हमसे झूठ क्यु बोला". तब दुसरा लडका बोल पडा "आन्टी जी, क्या आप सचमुच इतनी बेवकूफ़ हो, जो अभी तक नही समझी". मम्मी हैरानी और घबराहट से बोली "मै समझी नही". तब वो दोनो लडके धीरे धीरे हसने लगे. तब पहला लडका बोला " आन्टी जी, सच कहु, आप बहुत ही सुन्दर है और सेक्सी भी. पूरी पार्टी मे आपने आग लगा रखी थी." मेरे मम्मी थोडा गुस्से से बोले "शट अप, हम लोग जा रहे है". मेरे मम्मी मुझे साथ ले कर उठने लगे. इतने मे वो दुसरा लडका बोला "आन्टी जी, सिर्फ़ १ बात सुन लीजिये. हम लोग बेशक दुल्हे के दोस्त है. लेकिन कोई ये नही जानता कि आप इस समय हम दोनो के साथ है. ये घर भी हमारा है. लेकिन यहा कोई रहता नही. ये पुराना मकान है. मै और मेरे दोस्त यहा कभी कभी बस मौज मस्ती के लिये ही आते है. यहा आप चिल्ला पडोगी तो भी आप की आवाज बाहर तक नही जायेगी. अगर हमने कोई जबर्दस्ती की तो आप के ये आधुनिक कपडे फ़ट जायेगे. तब आप को रात को सडक पर नन्गे ही जाना पडेगा. अगर हम चाहे तो आपका रेप कर के आप को और आपके इस पिल्ले को मार कर कार मे डाल कर किसी सुनसान जगह पर चुपचाप फ़ेक सकते है" मेरे मम्मी ये सुन कर रोने लगे. मै भी रो रहा था. तब १ लडका मुझे साथ ले जा कर दूसरे रूम मे चला गया. मै रो रहा था. वो लडका मुझे कभी प्यार से तो कभी गुस्से से चुप करवा रहा था. मैने भी सहम कर थोडी देर बाद रोना बन्द कर दिया. तकरीबन आधे घन्टे बाद दूसरा लडका हमारे रूम मे आया. वो उपर से बिल्कुल नन्गा था. उसने सिर्फ़ जीन्स पहनी हुई थी. जीन्स का भी बटन खुला था. वो आते ही बोला "अब तेरी बारी है जा".
gupt_raaz_part_3
इस तरह पार्टी की मौज मस्ती मे कब रात के ११ बज गये पता ही नही चला. मुझे और मम्मी को सुबह वापिस जाना था. इसलिये मम्मी ने मुझे कहा कि "जल्दी से खाना खा लो". मैने और मम्मी ने जल्दी से खाना खाया. फ़िर मेरी मम्मी ने अपनी सहेली से वापिस जाने की इजाजत ली. मेरी मम्मी की सहेली उन्हे रूकने को बोल रही थी. लेकिन मेरी मम्मी ने उनको मेरी दादी के बिमार होने की बात बतायी. मेरी मम्मी की सहेली ने कहा "आप लोगो के रात रूकने का मै इन्तजाम करवा देती हू". लेकिन मम्मी ने कहा कि "नही आप यहा का प्रोगराम सम्भालो. आपके घर पहले से ही बहुत मेहमान रुके हुये है. अब रात गहराती जा रही है और सुबह ४ बजे दुल्हा दुल्हन के फ़ेरे भी होने है." मेरी मम्मी की सहेली ने कहा "आप लोग रात को रुकोगे कहा". मेरी मम्मी ने कहा "रास्ते मे कुछ गेस्ट हाउस दिखायी दिये थे, वहा कही न कही जगह मिल जायेगी". मेरी मम्मी अपनी सहेली को समझा-बुझा कर मुझे साथ ले कर पार्टी से बाहर निकल आयी. हम दोनो सडक पर खडे थे. मैने मम्मी से पूछा "मम्मी हम अब रात को कहा जायेगे". मम्मी ने कहा "रास्ते मे कुछ होटल वगैरह नजर आये थे. वहा कही न कही रूम मिल जायेगा. यहा से कोई आटो या टैक्सी ले कर वहा पहुन्च जाते है". लेकिन हमे वहा खडे २०-२५ मिन्ट हो गये. हमे कोई आटो या टैक्सी नजर नही आयी. मम्मी ने घडी मे टाईम देखा ११ बज कर तीस मिन्ट हो रहे थे. मम्मी ने कहा "पैलेस मे से जो मेहमान लोग निकलेगे, उनमे से किसी से लिफ़्ट ले लेते है".
हम दोनो तकरीबन १० मिन्ट वहा सडक पर और रुके रहे. मैरिज पैलेस मे से मेहमान वापिस घरो की तरफ़ जा रहे थे. मेरे मम्मी देख रहे थे की. किसी कार मे २ लोगो के बैठ्ने की जगह मिल जाये. इतने मे १ कार हमारे पास आ कर रुकी. जिसमे आगे की तरफ़ सिर्फ़ २ लडके बैठे थे. पीछे की सीटे खाली थी. वो लडके मैने मैरिज पार्टी मे भी देखे थे. लेकिन ये नही पता कि वो बारात मे आये थे या लडकी वालो की तरफ़ से थे. १ लडका मेरे मम्मी को बोला "आन्टी जी, आपको मैने पार्टी मे देखा था. आप लोगो को कही जाना है तो हम रास्ते मे आप को छोड देते है". मेरे मम्मी खुशी से फ़टाफ़ट बोले, "येस येस, आप प्लीस हमे रास्ते मे किसी गेस्ट हाउस या होटल मे छोड दिजिये". वो बोला "ठीक है आन्टी जी". मै और मम्मी कार की पिछली सीट पर बैठ गये. कार चल पडी. वो दोनो लडके २० साल के आस पास की उमर के लग रहे थे. मेरी मम्मी ने पूछा "आप लोग किस की तरफ़ से हो". तब उनमे से १ लडका बोला "हम दोनो दुल्हे के दोस्त है". उन्होने हमारे बारे मे भी पूछा. तो मम्मी ने बताया "हम लोग दिल्ली से आये है. दुल्हन मेरी सहेली की मौसेरी बहन है". इस तरह थोडा बहुत इधर उधर की बाते हुई. हम दोनो को वो लडके बहुत शरीफ़ लगे. उनमे से १ लडका बोला "आन्टी जी, आप हमारे शहर आये हो. हम लोग दुल्हे के दोस्त है और आप लोग दुल्हन की तरफ़ से मेहमान है. ये अच्छा नही लगता कि आप लोग इस तरह किसी होटल वगैरह मे रूको". मेरे मम्मी बोले "अरे फ़िर क्या हुआ, बस रात ही तो काटनी है, सुबह हम दोनो ने चले जाना है". तब वो लडका बोला "आन्टी जी, अगर आप लोग बुरा न माने तो आप किसी होटल मे रूकने से बेहतर हमारे घर रूक जाये". मेरे मम्मी बोले "अरे नही नही, आप लोगो ने हमे लिफ़्ट दे दी ये ही बहुत है". वो लडका बोला "आन्टी जी, इसमे कोई आपचौरिकता की बात नही है. आप आराम से हमारे घर रूकिये. मेरे मम्मी, पापा और दीदी भी आपसे मिल लेगे". मेरे मम्मी कुछ नही बोले और सोच मे पड गये.
हम दोनो तकरीबन १० मिन्ट वहा सडक पर और रुके रहे. मैरिज पैलेस मे से मेहमान वापिस घरो की तरफ़ जा रहे थे. मेरे मम्मी देख रहे थे की. किसी कार मे २ लोगो के बैठ्ने की जगह मिल जाये. इतने मे १ कार हमारे पास आ कर रुकी. जिसमे आगे की तरफ़ सिर्फ़ २ लडके बैठे थे. पीछे की सीटे खाली थी. वो लडके मैने मैरिज पार्टी मे भी देखे थे. लेकिन ये नही पता कि वो बारात मे आये थे या लडकी वालो की तरफ़ से थे. १ लडका मेरे मम्मी को बोला "आन्टी जी, आपको मैने पार्टी मे देखा था. आप लोगो को कही जाना है तो हम रास्ते मे आप को छोड देते है". मेरे मम्मी खुशी से फ़टाफ़ट बोले, "येस येस, आप प्लीस हमे रास्ते मे किसी गेस्ट हाउस या होटल मे छोड दिजिये". वो बोला "ठीक है आन्टी जी". मै और मम्मी कार की पिछली सीट पर बैठ गये. कार चल पडी. वो दोनो लडके २० साल के आस पास की उमर के लग रहे थे. मेरी मम्मी ने पूछा "आप लोग किस की तरफ़ से हो". तब उनमे से १ लडका बोला "हम दोनो दुल्हे के दोस्त है". उन्होने हमारे बारे मे भी पूछा. तो मम्मी ने बताया "हम लोग दिल्ली से आये है. दुल्हन मेरी सहेली की मौसेरी बहन है". इस तरह थोडा बहुत इधर उधर की बाते हुई. हम दोनो को वो लडके बहुत शरीफ़ लगे. उनमे से १ लडका बोला "आन्टी जी, आप हमारे शहर आये हो. हम लोग दुल्हे के दोस्त है और आप लोग दुल्हन की तरफ़ से मेहमान है. ये अच्छा नही लगता कि आप लोग इस तरह किसी होटल वगैरह मे रूको". मेरे मम्मी बोले "अरे फ़िर क्या हुआ, बस रात ही तो काटनी है, सुबह हम दोनो ने चले जाना है". तब वो लडका बोला "आन्टी जी, अगर आप लोग बुरा न माने तो आप किसी होटल मे रूकने से बेहतर हमारे घर रूक जाये". मेरे मम्मी बोले "अरे नही नही, आप लोगो ने हमे लिफ़्ट दे दी ये ही बहुत है". वो लडका बोला "आन्टी जी, इसमे कोई आपचौरिकता की बात नही है. आप आराम से हमारे घर रूकिये. मेरे मम्मी, पापा और दीदी भी आपसे मिल लेगे". मेरे मम्मी कुछ नही बोले और सोच मे पड गये.
gupt_raaz_part_2
हम लोग सुबह बहुत जल्दी ही रेल से निकल गये. रास्ते मे मुसाफ़िर मेरी मम्मी की सुन्दरता को हवस भरी नजरो से देख रहे थे. लेकिन मेरी मम्मी अकड से मुख दूसरी तरफ़ किये हुये खिडकी से बाहर के सीन देख रही थी. हम लोग अन्धेरा होने से पहले पहले शादी वाले घर पहुन्च गये. मेरी मम्मी की सहेली और उनके रिशतेदारो ने हमारा खुशी से स्वागत किया. शादी का प्रोग्राम किसी पैलेस मे था. जहा १ घन्टे बाद पहुन्चना था. मेरे मम्मी अपने साथ बैग मे अलग से कपडे लाये थे. उन्होने मुझे नयी टी-शर्ट और हाफ़ पैन्ट पहनने को दी. मम्मी खुद त्यार होने के लिये दूसरे कमरे मे चले गये. मै तो जल्दी से त्यार हो गया. मम्मी तकरीबन आधे घन्टे बाद त्यार हो कर आये. मम्मी ने बालो का बहुत ही स्टाईलिश जूडा किया हुआ था. उन्होने क्रीम कलर की साडी पहनी हुई थी. मम्मी का ब्लाउस स्लीव-लेस था और ब्लाउस बैक-लेस भी था. ब्लाउस बैक-लेस होने के कारण मम्मी की गोरी और चिकनी पीठ नन्गी ही लग रही थी. ब्लाउस बान्धने के लिये पीछे की तरफ़ सिर्फ़ २ धागे ही थे. जिस कारण पता लग रहा था कि मम्मी ने ब्लाउस के नीचे बरा नही पहनी होगी. मम्मी ने साडी नाभी से नीचे बान्धी थी. इसलिये उनकी बहुत ही गहरी नाभी दिख रही थी. साथ मे उन्की मुलायम और लचकदार कमर के भी दर्शन हो रहे थे. टाईट साडी और ऊन्ची हील वाले सैन्डिल पहनने के कारण मम्मी के नितम्ब चलते समय बहुत ही मादक अन्दाज मे थिरक रहे थे. सब लोग मम्मी को ही देख रहे थे. तकरीबन ८ बजे तक हम मैरिज पैलेस मे पहुन्च गये थे. वहा मम्मी सबसे अधिक सुन्दर, सेक्सी और आधुनिक लग रही थी. वेटर भी चोर आन्ख से मम्मी की सुन्दरता और सेक्सी फ़िगर को निहार रहे थे. फ़िर थोडी देर तक बारात भी आ गयी. पार्टी पूरे शबाब पर आ गयी. बारात मे आई कोई भी महिला मेरी मम्मी की टक्कर की नही थी. पूरी पार्टी मे मेरी मम्मी सब मर्दो की नजरो का केन्द्र बनी हुई थी.
gupt_raaz
कभी कभी जिन्दगी मे कुछ इस तरह की घटनाये हो जाती है. जो जिन्दगी मे गुप्त राज की जगह ले लेती है. आपकी जिन्दगी के गुप्त राज को हर कोई नही जानता होता. मेरा नाम रोहन है. मेरी उमर २० साल है. आज जो मै अपनी जिन्दगी की सच्ची घटना आप लोगो को कहानी के रुप मे सुनाने जा रहा हु. ये बात तकरीबन १० साल पुरानी है. उस समय मेरी उमर १० साल की थी और मेरी मम्मी उस समय ३५ साल की थी. मेरी मम्मी का कद ५ फ़ीट ६ इन्च है. रन्ग गोरा और चेहरा बहुत सुन्दर है. मेरी मम्मी शुरु से ही न अधिक मोटी है और न अधिक पतली. उनकी बाडी शुरु से ही सही शेप मे है. मेरे नाना जी फ़ौज मे अफ़सर थे. इसलिये मेरी मम्मी की परवरिश बहुत अच्छे तरीके से हुय़ी थी. मेरी मम्मी एम.ए पास है. मेरी मम्मी अपने मा बाप की एक ही सन्तान है. मेरी मम्मी का नाम शादी से पहले मोनिका बजाज था. लेकिन शादी के बाद उनका नाम मोनिका शर्मा हो गया. मेरे पापा बिजनेसमैन है. तो अब अस्ली बात पर आते है. ये बात साल २००३ जून के महीने की है. जब मै १० का था और मेरे मम्मी ३५ साल के थे. तब हम लोग दिल्ली मे रहते थे. उस समय मेरी मम्मी ने अपनी किसी पुरानी सहेली की बहन की शादी मे उत्तर प्रदेश जाना था. लेकिन मेरे पापा बिजनेस के सिलसिले के कारण साथ नही जा पा रहे थे. मेरे मम्मी शादी मे जाना चाहते थे. इसलिये मेरे मम्मी मुझे साथ ले कर अकेले ही रेल से चलने को त्यार हो गये. लेकिन हमको जल्दी वापिस लौटना भी था. क्यु कि मेरी दादी घर मे बिमार थी.
शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2013
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)










